क्या होता है ब्लैकआउट? आइये जानते है
- [By: PK Verma || 2025-05-07 14:51 IST
कोई भी युद्ध सिर्फ बॉर्डर पर नहीं लड़ा जाता। घरो, इमारतों की बिजली/रोशनी बुझाकर भी दुश्मन देश को चकमा दिया जा सकता है। इसलिए ब्लैकआउट सिर्फ़ एक रणनीति नहीं, राष्ट्र की सुरक्षा में उठाया गया पहला कदम है।
जम्मू कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने आतंकवाद को पालने वाले समर्थित पाकिस्तान को जवाब देने की तैयारी तेज कर दी है। इस दिशा में भारत सरकार ने एक और अहम कदम उठाया है। गृह मंत्रालय ने देश के 244 जिलों में 7 मई के दिन एक विशेष अभ्यास की घोषणा की है, जिसके तहत 'सिविल डिफेंस ट्रेनिंग' कराई जाएगी, ताकि युद्ध जैसी स्थिति में आम नागरिक भी तैयार रहें। इस तैयारी का सबसे अहम हिस्सा है: 'ब्लैकआउट'। एक ऐसा कदम, जो दुश्मन की आंखों पर परदा डाल देता है।
— Panchjanya (@epanchjanya) May 7, 2025
ब्लैकआउट: जब किसी देश पर युद्ध का खतरा मंडराता है या हवाई हमला संभव होता है, तो दुश्मन की निगाहें जमीन पर मौजूद रोशनी को निशाना बनाती हैं। शहरों की जगमगाती लाइटें, गाड़ियों की हेडलाइट, घरों की बत्तियां ये सब दुश्मन के लिए टारगेटिंग पॉइंट बन जाती हैं।
क्या करें: ब्लैकआउट इसी खतरे से बचने के लिए किया जाता है। इसमें आदेश जारी कर दिए जाते हैं: जैसे, घरों-दुकानों एवं सभी भवनों की सभी बत्तियां बंद रहें। खिड़कियों पर काले कपड़े या पर्दे डाले जाएं। गाड़ियों की हेडलाइट्स पर काले कवर लगें और स्ट्रीट लाइट्स भी सीमित समय के लिए बंद कर दी जाएं।
1971 की लड़ाई: भारत में 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान सरकार की तरफ सेदेश के कई शहरों में मॉक ड्रिल कराए गए थे। इतने लंबे वक्त बाद फिर पड़ोसी देश पाकिस्तान से भारी तनाव को देखते हुए मॉक ड्रिल आयोजित की जानी है। रक्षा मंत्रालय और पुरा लेख विभाग की रिपोर्टों में 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान "सिविल डिफेंस ब्लैकआउट प्रोटोकॉल" का जिक्र है। सिविल डिफेंस मैनुअल्स और Government of India’s Civil Defence Training material में भी इस बात का उल्लेख है कि युद्ध के समय रोशनी छुपाने के निर्देश दिए गए थे। तब बहुत से वरिष्ठ नागरिकों और रेडियो प्रसारणों की रिकॉर्डिंग्स, विशेषकर ऑल इंडिया रेडियो में “बत्तियां बुझा दें”, “परदे खींच लें”, जैसे निर्देश दिए जाते थे।
— PK Verma (@drpkverma) May 6, 2025
क्यों जरूरी: जब जमीन पर रोशनी नहीं दिखेगी, तो दुश्मन की बमबारी अंधेरे में होगी, जिससे हानि की संभावना घटती है। नागरिकों को ऐसी स्थिति में मानसिक रूप से सतर्क और सहयोगी बनाना। अंधेरे में देश की वायुसेना और सुरक्षा बलों की गतिविधियां आसानी से छिपी रह सकती हैं।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमलों के बाद भारत सरकार के ऐक्शन से यह साफ है कि दुश्मन देश भारत की आंतरिक शांति को निशाना बना सकता है। सरकार अब इस बात को लेकर स्पष्ट है कि जवाब सिर्फ सीमा पर नहीं, बल्कि देश के हर नागरिक की तैयारी में भी होना चाहिए, ड्रिल उसी तैयारी का हिस्सा है।
अंधेरा छाएगा, सायरन बजेगा: 244 राज्यों में मॉक ड्रिल के दौरान बिजली/इन्वर्टर/जनरेटर बंद किये जायेंगे और तेज आवाज में साइरन बजेगा। इस मॉक -ड्रिल में सिविल डिफेंस वार्डन्स, वॉलंटियर्स, होम गार्ड्स, एनसीसी, एनएसएस के लोगों को शामिल किया जाएगा। इसके अलावा स्कूल और कॉलेजों के छात्र भी इसमें हिस्सा लेंगे। इसके अलावा नोटिफिकेशन में कहा गया है कि आम नागरिकों को भी प्रशिक्षण प्रदान किया जाए। आम नागरिकों को भी इसमें शामिल किया जा सकता है।
देश के 244 स्थानों पर होगा मॉक ड्रिल: भारत सरकार ने देश भर में 244 स्थानों पर भारत सरकार ने मॉक ड्रिल का आदेश दिया है। 7 मई को देश के 244 स्थानों पर यह मॉक ड्रिल होनी है, जिसमें लोगों को यह बताया जाएगा कि किसी हमले या विपरीत स्थिति में कैसे खुद को बचाया जाए। केंद्र सरकार की ओर से सभी राज्यों के चीफ सेक्रेटरीज को जारी निर्देशों में पाकिस्तान का जिक्र नहीं किया गया है। लेकिन पहलगाम आतंकी हमले के बाद इसका आयोजन अहम है। 1971 के बाद पहली बार देश में इस तरह मॉकड्रिल हो रही है। इस दौरान सायरन बजाए जाएंगे। कुछ देर के लिए ब्लैकआउट होगा और लोगों को निकालने का अभ्यास किया जाएगा।
देश के इन 244 जिलों में होगा मॉक-ड्रिल: देश के जिन 244 जिलों में मॉक ड्रिल की तैयारी है, उनमें अंबाला, फरीदाबाद, गुरुगुग्राम, हिसार, पंचकूला, पानीपत, रोहतक, सिरसा, सोनीपत और यमुनानगर शामिल हैं। इसके अलावा गुजरात के अहमदाबाद, जामनगर, गांधीनगर, भावनगर, कांडला, अंकेलेश्वर, ओका शामिल हैं। जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग, बडगाम, बारामूला, डोडा, जम्मू, कारगिल,कठुआ, कुपवाड़ा, लेह, पुंछ, राजौरी, श्रीनगर, उधमपुर, सांबा, उरी, नौशेरा, सुंदरबनी और अवंतिपुर और अखनूर शामिल हैं। राजधानी दिल्ली में भी कई स्थानों पर यह मॉक ड्रिल होगी। उत्तर प्रदेश के तो सभी जिलों को इसमें शामिल किया गया है।
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